लेखनी कहानी -26-Nov-2022
विषय - संविधान
विधा - कविता
नाम - ज़ुबैर खांन
प्रतियोगिता
लम्हा इक मेरे वो वतन का
मुद्दातो के किये हुऐ बहुत जातन का
बयां हैं हक़ीक़त बड़ी पुरानी
ये दुखियों की हैं बीती दास्तांन का
दुनियां में किये हम पर ज़ालिम ने
बता नहीं सकते किये ज़ुल्म कितने
बाकीयो के बचे नामों निशान का
इक बूंद बहा के सबने भारत बना दिया
ये न पूछो किस किस ने क्या क्या किया
इनमें लहू मिला हैं हिंदू-ओ-मुस्लमान का
मिले हैं ईद तो कभी"ज़ुबैर"दीवाली में
हम सब नौजवान इक होके
अहसान हैं इसमें हर इक इंसान का
ज़ुबैर खांन........📝
Khan
28-Nov-2022 10:07 PM
🙏🌸🌺
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Gunjan Kamal
28-Nov-2022 07:24 PM
👏👌🙏🏻
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Rajeev kumar jha
26-Nov-2022 07:33 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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